रिपोर्टर -बिन्देश्वरी पाण्डेय
ताजमहल प्रेम का पत्थर और मकबरा नही बल्कि मोहब्बत का एक जिंदा एहसास है।



आइये ,आज हम आपको लेकर चल रहे हैं आगरा के एक ऐसे मक़बरे की सैर पर… जिसे न सिर्फ पत्थरों से, बल्कि मोहब्बत के एहसास से तराशा गया है।
ताजमहल एक नाम नहीं, बल्कि हर एक प्रेम कहानी का प्रतीक बन चुका वो एहसास है जो सदियों से इंसानियत को जोड़ रहा है।
ताजमहल सिर्फ सफेद पत्थरों से बनी एक इमारत ही नहीं, बल्कि मुग़ल बादशाह शाहजहाँ की अपनी बेग़म मुमताज़ महल के लिए सच्चे प्यार की अमर निशानी है। 1631 में मुमताज़ की मौत के बाद, शाहजहाँ ने इस मकबरे का निर्माण कराया था जो आज भी दुनिया के 7 अजूबों में शुमार है। इतिहासकारों के अनुसार 22 साल में बने इस स्मारक में 20,000 मजदूरों ने प्रतिदिन काम करके ताजमहल को ऐसा रूप दिया जो आज भी पूरी दुनिया में कहीं दिखाई नहीं देता।

संगमरमर की सफेदी, बारीक नक़्काशी और कुरान की आयतों के बीच इसकी बनावट हर दर्शक को मंत्रमुग्ध कर चौंका देती है।
कहते हैं कि ताजमहल की खासियत है कि यह दिन में तीन बार रंग बदलता है सुबह गुलाबी, दोपहर में दूधिया सफेद और रात को सुनहरा रंग देता है

शायद यही इसकी मोहब्बत की गहराईयों को बयां करता है।
ताजमहल को देखने के लिए प्रति वर्ष लगभग 70 लाख से ज्यादा लोग देखने आगरा नगरी में आते हैं। सुरक्षा के लिहाज से यहां बायो टॉयलेट्स, चेकिंग पॉइंट्स और गाइडेड टूर की सुविधा भी दी गई है। आपको बता दें कि ताजमहल को लेकर समय समय पर कुछ धार्मिक और ऐतिहासिक विवाद भी होते रहे हैं। लेकिन एक बात तय है कि मोहब्बत का ये प्रतीक आज भी उतना ही सुंदर है जितना सदियों पहले था।

आगरा के निवासियों का कहना है कि देश विदेश से भारी संख्या में लोग यहां सिर्फ इमारत ही नहीं बल्कि बादशाह शाहजहां और उनकी बेगम मुमताज के बीच मशहूर मोहब्बत की निशानी को देखने के लिए आते हैं।
यहां आने वाले टूरिस्टों का कहना है कि यह तो एक सपने जैसा लगता है लेकिन रियल में इसे देखना जीवनभर का अनुभव होता है।

ताजमहल केवल एक मकबरा नहीं , बल्कि यह हर उस दिल की आवाज़ है जो सच्चे प्यार के लिए हमेशा धड़कता है। यह पूरा परिसर आगरा शहर के यमुना नदी के तट पर स्थित है जो इसकी सुंदरता को चार चांद लगा रहा है। यहां आने वाले हर पर्यटक की जुबान पर ताज की भव्यता , दिव्यता और शांति की बात होती है। इसमें 22 कमरे बनाये गये हैं। और इसके बीच में बेगम मुमताज महल और बादशाह शाहजहां का कब्र पास पास बना हुआ है ।

इतिहासकारों के अनुसार शाहजहां अपने बेगम मुमताज महल से बेपनाह मोहब्बत करते थे और वह बेहद खूबसूरत संगमरमर जैसी ही दिखती थी। कहा जाता है कि मुमताज की मौत के बाद शाहजहां एकदम टूट गये थे और कुछ दिन राजपाट से विरक्त होकर गुमसुम तरीके से रहने लगे। इसी के बाद उन्होंने मोहब्बत की इस निशानी को बनवाने का फैसला किया जिसकी मिसाल पूरी दुनिया में कहीं न दिखाई पड़े।

कहा तो यह भी जाता है कि ताजमहल तैयार होने के बाद बादशाह ने उन कारीगरों के हाथ तक कटवा लिये थे ताकि भविष्य में कभी और कहीं भी ऐसे दूसरे ताज का निर्माण न हो सके। लेकिन इसका कहीं कोई साक्ष्य नहीं मिलता है। तो आप भी आइये हिन्दुस्तान के शहर आगरा में और मोहब्बत के इस अजूबे और अनोखे ताजमहल का दीदार प्रत्यक्ष रूप से करके आनंद लीजिए। आज के लिए बस इतना ही, बने रहिए भारत News 24 ×7देश की आवाज के साथ। ऐसे ही दुनिया के किसी दूसरे मशहूर अजूबे के साथ हम फिर मिलेंगे। तब तक के लिए नमस्कार।

